‘‘नन्हे-मुन्हे बच्चे तेरी मुटठी में क्या है।’’ हम सभी ‘‘बूट पॉलिश’’ फिल्म के इस गीत को सुनते हुए बड़े हुए हैं। यह गीत बच्चों के उस सुनहरे सपने को दर्शाता है कि आने वाला भारत इन बच्चों की मेहनत व हिम्मत से बनेगा ।
विनोबा भावे ने भी अपने गीता प्रवचन में लिखा है कि ‘‘बच्चे जो तीन से चार वर्ष आयु में सीखते हैं वहीं उनके मष्तिस्क पर अंकित हो जाता है। बाल अवस्था में ही ज्ञान प्राप्त शुरू हो जाता है’’ ।
भारत में विश्व के सबसे ज्यादा बाल संख्या है तथा तकरीबन 16 करोड़ बच्चे 6 साल की उम्र से कम है । तकरीबन 20 लाख बच्चों की 5 साल की उम्र से पहले ही मुत्यु हो जाती है। हर 12 बालिकाओं में से एक, एक वर्ष की उम्र तक नहीं पहुंच पाती। अगर यही चलता रहा तो देश कैसे तरक्की करेगा।
भारत को ऐसे बाल अभियान की जरूरत है जिसके द्वारा वंचित बच्चों को उनका अधिकार- एक अच्छा स्वास्थ्य, सुपोषण एवं शिक्षा मिल सके। इस अभियान को सफल बनाने के लिए समाज, सरकार, तथा आम जनता को मिलकर काम करना होगा।
सरकार के आंगनवाड़ी कार्यक्रम को सुदृढ़ करना इस अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है।
1975 में भारत सरकार ने आंगनवाड़ी कार्यक्रम की शुरूआत की थी जिसके द्वारा पहली बार बच्चों के विकास पर जोर दिया गया। आज 14 लाख आंगनवाड़ी केन्द्र भारत में मोजूद है जिसके द्वारा 7.5 करोड़ 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तथा 1.8 करोड़ माताओं को लाभ पहुंच रहा है । इसकी प्राथमिकता को देखते हुए एकीकृत बाल विकास योजना के लिए 12वीं पंचवर्षीय योजना में भारत सरकार ने 1,29,000 करोड़ रु. का प्रावधान रखा है।
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में एकीकृत बाल विकास योजना के सक्ष्तिकरण एवं विस्तार पर जोर दिया है। सरकार ने 14 लाख आंगनवाड़ी केन्द्र बनाकर एक विशाल बुनियादी संरचना तैयार की है परन्तु अभी काफी काम बाकी है।
आज हमें बड़ी कंपनियों द्वारा समाज सेवा के कार्यक्रमों की जरूरत है जिसके द्वारा ना सिर्फ आर्थिक मदद मिलेगी बल्कि प्रबन्धन अनुभव, प्रषिक्षण व्यवस्था तथा आंगनवाड़ी कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाने में भी मदद मिलेगी ।
वेदान्ता समूह ने सरकार के साथ मिलकर इस दिशा में एक छोटी सी शुरूआत की है जिसके द्वारा वेदान्ता समूह, वर्ष 2008 से, 14000 आंगनवाड़ी केन्द्रों द्वारा लगभग 5,00,000 वंचित बच्चों तक पहुंच पाया है । इस कार्यक्रम में और अधिक उद्योगों के जुड़ने की जरूरत है।
मूलतः बड़े उद्योग तीन क्षे़त्रों में सहयोग कर सकते हैं । प्रथम, आंगनवाडि़यों में आधारभूत सुविधा उपलब्ध कराना। वर्तमान में ऐसी कई आंगनवाड़ी केन्द्र हैं जहा मूलभूत सुविधा नहीं है तथा बच्चों के लिए शौचालय की व्यवस्था भी नहीं है।
दूसरा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या अध्यापक जो कि सुचारू रूप से आंगनवाड़ी संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, का सही प्रषिक्षण होना चाहिए तथा उसका चयन स्थानीय समुदाय से ही होना चाहिए। सही आंगनवाड़ी अध्यापक सही प्रषिक्षण के साथ, आंगनवाड़ी के बच्चों के भविष्य में सुधार लाएगा।
तीसरा, सुपोषण व स्वास्थ्य की महत्ता है। आंगनवाड़ी के बच्चों को सही सुपोषण मिले तथा उनके स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाए, जिससे इनका सम्पूर्ण विकास हो।
भारत में लगभग 50 प्रतिषत बच्चे कुपाषित है और हमें इस अन्तर को अन्य पूरक द्वारा कम करना है । ‘‘आंगनवाड़ी अपनाये’’ अभियान को हमें देश भर में एक महाअभियान के रूप में सामने लाना है। इस अभियान में सभी हिस्सा ले पाये- दान द्वारा, नयी शिक्षा पद्वति द्वारा, अध्यापकों के शिक्षण द्वारा, वंचित व गर्भवती महिलाओं को शिक्षण द्वारा, यह सुनिष्चित करना है।
अन्ततः हम सभी चाहते हैं कि 6 साल से कम उम्र के बच्चों का भविष्य सुधरे । यह उददेष्य सरकार के साथ-साथ प्रमुख राजनितिक घोषणा में आना भी जरूरी है । मूलतः इसलिए भी कि भारत अगले आम चुनाव की ओर अग्रसर है।
जिस प्रकार कल के बच्चों ने आज के भारत का निर्माण किया है उसी प्रकार आज के बच्चे भारत का भविष्य लिखेंगे। जरूरी है कि यह बच्चे शिक्षा, सुपोषण तथा स्वास्थ्य से परिपूर्ण हो ।
एक दिन हम सब इन बच्चों पर गर्व करेंगे - मुटठी में है तकदीर हमारी हमने दुनिया को बस में किया है।
अनिल अग्रवाल
चेयरमैन - वेदांता समूह
Vedanta's dedication to society is appreciable and a motivation for other companies.
ReplyDeleteIndeed great efforts for building a brighter tomorrow by "Vedanta Group"
ReplyDeleteReally great effort and lot more to do in this direction. Rightly said by our Chairman that it should be in our national agenda of all political parties. Regards, Manoj Shah
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